बेंगलुरु के एक बडे मॉल में एक बेटे को उसके पिता के साथ एंट्री नहीं मिली क्योंकि उसके पिता ने पारंपरिक धोती पहनी हुई थी. पिता-पुत्र की यह जोड़ी दरअसल मॉल में फिल्म देखने आई थी लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया.

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ऐसा कितनी बार सुनने को मिलता है कि कपड़ों और वेशभूषा के आधार पर लोगों के साथ बुरा बर्ताव किया जाता है. हम सबने कहीं न कहीं जीवन में ऐसे कुछ हालात देखे होंगे जहां हमने या हमसे जुड़े किसी शख्स को उनकी वेशभूषा के आधार पर भेदभाव का सामना करना पड़ा हो.

आजकल हर कोई अच्छा दिखने की फिराक में नए ट्रेंड अपना रहा है, खुद को संवार रहा है लेकिन उससे उनके व्यक्तित्व का आकलन नहीं किया जा सकता.

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